CBI, सीबीआई ने बैंकों के समूह के साथ 3,847.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मुंबई स्थित यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक किशोर अवरसेकर तथा अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। वहीं इसके बाद चार स्थानों पर छापेमारी की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अवसंरचना कार्य से जुड़ी 44 साल पुरानी कंपनी का खाता 24 जून 2014 को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गया था। पांच साल बाद हुई फोरेंसिंक ऑडिट में अनियमितताओं के संकेत मिले थे, जिसके बाद इसे धोखाधड़ी घोषित किया गया। बैंक ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी बीडीओ इंडिया एलएलपी द्वारा किए गए फोरेंसिक ऑडिट में सामने आई, जिसने 25 सितंबर, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
सीबीआई ने बैंकों के समूह के सदस्य भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत पर कार्रवाई की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि धोखाधड़ी मुंबई में उसकी ‘कमर्शियल ब्रांच’ में हुई और आरोपियों ने अवैध लाभ हासिल करने की नीयत से फर्जी लेनदेन कर और बही-खातों में हेरफेर कर धोखाधड़ी की।
एजेंसी ने कंपनी, इसके पूर्व अध्यक्ष, पूर्व निदेशक और अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
CBI, सीबीआई ने बैंकों के समूह के साथ 3,847.58 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मुंबई स्थित यूनिटी इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक किशोर अवरसेकर तथा अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। वहीं इसके बाद चार स्थानों पर छापेमारी की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अवसंरचना कार्य से जुड़ी 44 साल पुरानी कंपनी का खाता 24 जून 2014 को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन गया था। पांच साल बाद हुई फोरेंसिंक ऑडिट में अनियमितताओं के संकेत मिले थे, जिसके बाद इसे धोखाधड़ी घोषित किया गया। बैंक ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी बीडीओ इंडिया एलएलपी द्वारा किए गए फोरेंसिक ऑडिट में सामने आई, जिसने 25 सितंबर, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
सीबीआई ने बैंकों के समूह के सदस्य भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत पर कार्रवाई की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि धोखाधड़ी मुंबई में उसकी ‘कमर्शियल ब्रांच’ में हुई और आरोपियों ने अवैध लाभ हासिल करने की नीयत से फर्जी लेनदेन कर और बही-खातों में हेरफेर कर धोखाधड़ी की।
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अधिकारियों ने बताया कि हाल में आरोपियों के परिसरों पर तलाशी ली गई। कंपनी ने अपनी चल और अचल संपत्तियों तथा निजी और कॉरपोरेट गारंटी के बदले में 23 ऋणदाताओं से 3,800 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया था।
एजेंसी ने कंपनी, इसके पूर्व अध्यक्ष, पूर्व निदेशक और अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।