डॉ अनुज नरवाल रोहतकी ,अलख हरियाणा डॉट कॉम, रोहतक || जाट शिक्षण संस्थान के छोटू राम पॉलिटेक्निक कॉलेज (Chhotu Ram Polytechnic College , Rohtak ) में साल 2013 में 48 लाख के EPF घोटाले की जांच आज तक अपने अंजाम तक नहीं पहुँच सकी है। मौजूदा गृहमन्त्री के आश्वासन के बाद और सीएम विण्डो (CM Window) में शिकायत को साल गुजर गया लेकिन जांच के नाम पर ठेंगा ही मिला है। ऐसे में न्याय की उम्मीद मनोहर राज में बेमानी सी नजर आने लगी है।
क्या है पूरा मामला
जाट शिक्षण सोसायटी के आजीवन सदस्य चंचल नांदल बताते हैं कि जाट शिक्षण संस्थाओं में स्थित प्रसिद्ध छोटूराम पालिटेक्निक में 2013 में 48 लाख के इपीएफ घोटाला को अंजाम दिया गया। उस वक्त संस्था के तत्कालीन प्रधान मास्टर सुरेन्द्र नादंल और छोटूराम पालिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य बलजीत हुड्डा थे। इनकी नाक के नीचे दो कर्मचारी सतबीर नांदल व प्रवीण अहलावत की मार्फ़त इस घोटाले को अंजाम दिया गया।
एक पत्र के अनुसार तत्कालीन प्रधान रहे मास्टर सुरेन्द्र नांदल ने भी 1cr.30 लाख की रक़म को पीएफ विभाग से निकलवाने के लिए 1994 में प्राचार्य रहे भीम सिंह हुड्डा के हस्ताक्षरों को 2012 में छोटूराम पालिटेक्निक के प्राचार्य के रूप में सत्यापित करके भेजा जबकि 2012 व 13 में बलजीत हुड्डा प्राचार्य थे । मामला यह है कि इस घोटाले को अंजाम देने के प्रयास चलते रहे और अंतत सबके प्रयासों से 2013 में 48 लाख की राशि के विभिन्न कर्मचारियों के खाते से बीयरर चैक से प्रवीन आदि ने कैश निकलवाकर आपस में बाँट लिए । इस घोटाले के आरोपी सतबीर अकाउंटेंट को तत्कालीन प्राचार्य ने दो बार एक्शटेशन दिलानाई ताकि इस पाप पर मिट्टी पड़ी रहे । सतबीर की सेवानिवृत्ति के बाद 2018 जब नए अकाउंटेंट ने कार्यभार सँभाला तो यह मामला उजागर हो गया ।
पीएफ घोटाले के खिलाफ यूँ बढ़ा सिलसिला आगे
कर्मचारियों ने एकजुट होकर संस्था आजीवन सदस्यों के सामने इस घोटाले बारे आवाज़ उठाने की गुहार लगाई उपस्थित सदस्यों ने आजीवन सदस्य चंचल नांदल को जाँचा करवाने की कार्रवाई हेतू अधिकृत किया जिस पर चंचल नांदल ने कर्मचारियों को साथ लेकर संस्था के प्रशासक को इस बारे शिकायत की जिस पर प्रशासक ने इस शिकायत पर सज्ञान लेते हुए प्रशासक महोदय ने तीन सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया और जाँच समिति ने अपनी जाँच में प्राचार्य बलजीत हुड्डा , सतबीर अकाउंटेंट व अन्य कर्मचारी प्रवीण को इस घोटाले का सीधा दोषी पाया व वर्तमान प्राचार्य शुसील बाल्याण को संदेहास्पद माना क्योंकि 2012 में शुसील बाल्याण ने अपने हस्ताक्षर स्वयं सत्यापित करके पीएफ विभाग को भेजे थे व पूर्व में प्रधान मास्टर सुरेन्द्र नांदल द्वारा स्त्यापित किए हुए भीम सिंह हुड्डा के हस्ताक्षरों के फारेन्सिक से जाँच कराने बारे में कहा |
जब यह जाँच रिपोर्ट अग्रिम कार्यवाही हेतू डीजी टेक्निकल के पास पंहुची तो इस जाँच संतुष्ट न होते हुए सारे मामले की जाँच रिटायर्ड सेशन जज व विजीलेंस से करवाने बारे आदेश दिए इस आदेश की पालना करवाने हेतू आजीवन सदस्य व शिकायतकर्ता चंचल नांदल सीएम विंडो पर गुहार लगाई लेकिन आज तक इतने बड़े घोटाले पर कार्रवाई ना होना चिंता का विषय है
छोटूराम पॉलिटेक्निक कॉलेज में साल 2013 में 48 लाख के EPF घोटाले की जांच के सभी दोषियों का क्या पता चल पाएगा ? क्या उनको सजा मिलेगी ? क्या 48 लाख EPF वापस सरकार के खजाने में जायेगा ? सरकारी सिस्टम में अब तक कछुआ चाल से चलते दूर की कौड़ी नजर आता है। ऐसे में मनोहर सरकार ईमानदारी के दावे तो करती रहती है लेकिन यहाँ ये मामला एक बरस से ज्यादा सीएम विंडो पर लंबित हैं , जांच की चाल के तो कहने ही क्या।