अलख हरियाणा डॉट कौम, बिहार || कन्हैया कुमार 28 सितंबर को यानी शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिन पर कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। फिलहाल वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में हैं। राहुल गाँधी उनको पार्टी में लाना चाहते हैं इसके अलावा गुजरात के दलित कार्यकर्ता और विधायक जिग्नेश मेवानी के भी कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा है।
बिहार में खोई हुई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। कन्हैया कुमार बिहार से आते हैं शायद यही कारण है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार में भविष्य का नेता तलाश कर रही है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि CPI में किसी के लिए कोई बड़ी संभावना नहीं बची है। इस पार्टी के युवा नेता अगर राजनीति में करियर बनाने की चाहत रखते हैं तो उनको परेशानी होगी तय सा है।
कन्हैया भी इस वजह से कांग्रेस की और रुख करेंगे। CPI भी कन्हैया को बढ़ाने में दिलचश्पी नहीं ले रही थी । यहाँ तक उनकी पार्टी CPI फरवरी में उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित हो चुका है।1 दिसंबर 2020 में पटना ऑफिस में कन्हैया ने सचिव इंदुभूषण वर्मा के साथ मारपीट की थी। रिपोर्ट के अनुसार CPI के प्रदेशाध्यक्ष बनना चाहते हैं। साथ ही चुनाव समिति का चेयरमैन बनना चाहते हैं। ताकि केंडिडेटस का सिलेक्शन वह कर सके। लेकिन CPI में इस तरह की प्रथा नहीं रही है। कुल मिलकर दोनों तरफ से कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा था।
बिहार सियासी हालातों को देखते हुए कांग्रेस के लिए कन्हैया कुमार लम्बी रेस का घोडा साबित हो सकते हैं। इस वक्त कन्हैया कुमार को और कांग्रेस दोनों की जरूरत है। यह अलग बात है कि ऐसा होने के बाद कांग्रेस को कितना और कन्हैया कुमार को कितना लाभ मिलेगा। इस बात का तो पता नहीं है ये तो भविष्य के गर्भ में हैं। लेकिन कन्हैया कुमार के आने से फिलहाल वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस को बिहार में ऑक्सीजन जरूर मिलटी दिखाई दे रही है।