हरियाणा के रोहतक में खराब फसल के कम मुआवजे से किसान मायूस होते नज़र आये। दरअसल सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल खराब होने के चलते बहुत कम मुआवजा दिया गया है तो कुछ किसानों को मुआवजा मिला ही नहीं। जबकि जितनी राशि कि डिमांड हुई थी उससे कई गुणा कम धनराशि किसानों के हिस्से आई है।इसके चलते किसानों को बाढ़ में डूबी फसल से नुकसान की पीड़ा पांच माह बाद फिर याद आ गई। किसानों का कहना है कि अधिकारीयों ने पोर्टल पर ही ऑनलाइन सर्वे करके खानापूर्ति कर दी । किसान का सवाल है कि आखिर किस बिनाह पर यह इतनी कम मुआवजा राशि उनको दी गई है।लेकिन किसानों के पास संतोष करके बैठ जाने के सिवाए कोई विकल्प नहीं रह गया है।
किसानों का कहना है कि बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात हो गए जिसमें धान, ज्वार, बाजरा की खड़ी फसल डूबकर बर्बाद हो गई। इसमें जिले से 6 हजार से अधिक किसानों ने क्लेम मांगा। इन किसानों से सारी फसल बर्बाद हो गई। जिससे फसल में आई प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपए का खर्च भी बेकार हो गया। इस पर राजस्व विभाग ने सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में जिले में 20 करोड़ रुपए का नुकसान बताया। सरकार ने अब 5 माह बाद पीएम बीमा योजना में शामिल किसानों के लिए 2.53 करोड रुपए की मुआवजा राशि जारी की है। यह धनराशि जिले के करीब 2800 किसानों के बैंक खातों में सीधे जारी की गई है।
यह धनराशि किस आधार पर जारी की गई। इसको लेकर किया किसान हैरान हैं। क्योंकि किसान की तरफ से पोर्टल पर ऑनलाइन नुकसान की शिकायत दर्ज कराने के बाद क्षेत्रीय कर्मचारियों ने अपनी रिपोर्ट लगा दी और इसको पोर्टल पर अपलोड कर दिया।
किसान बताते हैं कि उनके पास नुकसान के बारे में पूछने के लिए कोई नहीं आया। यह भी नहीं देखा गया फसल बर्बाद होने के बाद किसान एक रुपया नहीं कमा पाया। जिससे नुकसान का सही आंकलन नहीं हो पाया और किसानों को लागत से भी कहीं कम मुआवजा मिल पाया। जिले में अधिकतम 15 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से ही मुआवजा मिल पाया है। जबकि एक एकड़ में कई साझेदार होने पर किसानों के हिस्से 1200 तक भी आए हैं।
किसानों के अनुसारसरकार द्वारा मिले मुआवजे से कोई कमाई होना तो दूर, फसल बर्बाद होने से गंवाई लागत भी वापस नहीं मिल पाई। वहीं काफी किसानों के हाथ एक रुपया भी नहीं आया है। यह किसान पहले अफसरों से मिलकर भी नुकसान बता चुके हैं, लेकिन फिर भी खाली हाथ रह गए हैं। बिजाई के दौरान नुकसान की शिकायत जिले के किसी किसान की तरफ से नहीं की गई।
किसान ओमप्रकाश ने बताया कि उनके 5 एकड़ फसल पानी में डूबकर खराब हो गई थी। मोटर से पानी निकाला। जब जाकर 12 क्विंटल धान उगा पाए थे। अब सात हजार रुपए मुआवजा मिला है। जबकि करीब 80 हजार रुपए लागत फसल में आ चुकी थी। किसान संजय ने बताया कि उनकी पांच एकड़ फसल बर्बाद हो गई थी। जिससे 1.16 लाख रुपए की लागत डूब गई। इसके बाद शिकायत करने पर कोई भी नुकसान पूछने नहीं आया। अब 15 हजार रुपए मुआवजा मिला है। विवेक ने बताया कि उनकी 10 एकड़ धान की फसल, एक एकड़ बाजरा और दो एकड़ ज्वार बर्बाद हो गई। अगर फसल अच्छी हो जाती तो इससे करीब 4 लाख रुपए की कमाई हो जाती, लेकिन मुश्किल से डेढ़ लाख की फसल मिल पाई। जबकि इतनी ही लागत आ चुकी थी। अब 12 हजार मिले हैं।
कृषि उप निदेशक कर्मचंद ने इस मामले को लेकर कहा कि अबकी बार जो मुआवजा आया है उसके लिए पोर्टल पर ही किसानों ने अपना विवरण दर्ज किया था। इसके बाद अब सीधे किसानों के खाते में धनराशि आई है। उन्होंने कहा इसलिए इसके किसी रिकार्ड के बारे में जानकारी नहीं है, दूसरे विभाग से ही इसका कुछ पता चल सकता है।