रोहतक। रोहतक एमडीयू कि महिला प्रोफेसर को छात्र नेता का नाम काटना महंगा पड़ गया। दरअसल महिला प्रोफेसर ने एक छात्र नेता को कक्षा में अनुपस्थिति के कारण उसका नाम काट दिया जिसके बाद छात्र नेता द्वारा महिला प्रोफेसर को धमकी देने और ब्लैकमेल करके परेशान करने का मामला सामने आया है। महिला प्रोफेसर ने अब इसकी जानकरी हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर दी है। वहीं दूसरी तरफ छात्र नेता ने उस पर लगाए गए आरोपों को झूठा करार किया है। अभी तक मामले में ढंग से पुष्टि नहीं हो पाई है की लगाए गए आरोप सच है या झूठ। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की तरफ से इस मामले पर अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है।
दरअसल महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक की एक महिला सहायक प्रोफेसर ने हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर एक छात्र नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिस पर उन्होंने अपने कार्यस्थल पर धमकी देने, ब्लैकमेल करने, दुर्व्यवहार करने और परेशान करने का आरोप लगाया है।
महिला सहायक प्रोफेसर ने राज्यपाल और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) राजबीर सिंह को 5 नवंबर को लिखे अपने पत्र में कहा कि कक्षा में एक बार भी दाखिल न होने के कारण उसने अक्टूबर के पहले सप्ताह में एक छात्र नेता का नाम काट दिया गया था। जिसके बाद महिला प्रोफेसर ने बताया की वह छात्र नेता मास्टर डिग्री कार्यक्रम के पहले वर्ष में है, उसने विभाग का दौरा किया और 13 अक्टूबर को प्रोफेसर के शोध विद्वान और अन्य कर्मचारियों के सामने गालियां दीं। दो दिन बाद, वह पांच अन्य छात्रों के साथ आया। और उन्होंने पूरे स्टाफ के सामनेमहिला प्रोफेसर की डिग्रियों को फर्जी करार दे दिया।
हरियाणा के राज्यपाल को पत्र में महिला प्रोफेसर ने लिखा “छात्र नेता ने सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ कीचड़ उछालने का अभियान शुरू किया था और 4 नवंबर को उन्होंने फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग में मेरे खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने मेरी डिग्री को फर्जी बताया और दावा किया कि यह पैसे देकर लाई गई है. उन्होंने एक महिला के पति के साथ मिलीभगत की, जिसकी नियुक्ति को मैंने चुनौती दी और बाद में मुझे नियुक्ति मिल गयी. छात्र नेता मुझे गालियाँ दे रहा है, ब्लैकमेल कर रहा है और धमकी दे रहा है, ”
जिसके बाद महिला प्रोफेसर ने छात्र नेता के खिलाफ पांच साल की मुकदमेबाजी की जिसमे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में महिला को विश्वविद्यालय से नियुक्ति मिली, और विश्वविद्यालय ने नियुक्ति देने से पहले उसके सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया है।
वहीं दूसरी तरफ मिली जानकारी के अनुसार जब छात्र नेता से इस मामले को लेकर पूछा गया तो छात्र नेता ने असिस्टेंट प्रोफेसर के आरोप को झूठा और बेबुनियाद बताया। उसने कहा “महिला सहायक प्रोफेसर ने मेरे खिलाफ दुर्भावनापूर्ण इरादे से शिकायत लिखी है क्योंकि मैंने उसके खिलाफ राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा परिषद और सतर्कता अधिकारी को शिकायत दर्ज की थी क्योंकि उसने एक ही समय में दो डिग्री हासिल की थी। मैंने महिला सहायक प्रोफेसर के शैक्षणिक विवरण के संबंध में विश्वविद्यालय, वी-सी और रजिस्ट्रार के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व दिया था, ”उन्होंने कहा।
महिला प्रोफेसर द्वारा नाम कटे जाने के बारे में जब छात्र नेता से पूछा गया तो उसने बताया कि विभागाध्यक्ष को नाम काटने का अधिकार है और अन्य शिक्षक उपस्थिति एचओडी को भेज सकते हैं। लेकिन एक प्रोफेसर को कोई अधिकार नहीं है की वो किसी भी छात्र का डायरेक्ट बिना किसी कारवाही के नाम काट दे