चंडीगढ़, 14 दिसंबर: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में संचालित अखिल भारतीय समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना के तहत विकसित 1.0 हेक्टेयर समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल गई है। इस मॉडल को विकसित करने में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, डॉ. एसके यादव, डॉ. आरके नैनवाल, डॉ. पवन कुमार, डॉ. आरएस दादरवाल, डॉ. आरडी जाट और डॉ. कविता का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. बी.आर. काम्बोज ने इस उपलब्धि पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि इस मॉडल के माध्यम से किसान विभिन्न प्रकार की फसलें, सब्जियां, फल, पशुपालन, केंचुआ खाद उत्पादन, मशरूम उत्पादन, बायोगैस आदि कार्य कर सकते हैं। यह मॉडल विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए उपयुक्त है, जो अपने सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इससे कृषि लागत में कमी आएगी, उत्पादन बढ़ेगा, और किसानों को सालभर आमदनी मिलेगी।
इस मॉडल की सहायता से किसानों को कृषि की उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हुए पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। साथ ही, यह मॉडल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से लाभकारी साबित होगा।
सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके ठकराल ने बताया कि इस मॉडल का शोध कार्य 2010-11 में भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), मोदीपुरम मेरठ के सहयोग से शुरू किया गया था और 10 वर्षों के अनुसंधान के बाद इसे सफलतापूर्वक विकसित किया गया।
इस मौके पर अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग, कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। Haryana Agricultural University’s integrated farming system model gets national recognition