हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार से निपटने में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सी.वी.ओ.) की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया है। उन्होंने सी.वी.ओ. को निर्देश दिए हैं कि वे अपने विभागों में और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पांच प्रमुख मुद्दों को रेखांकित करते हुए एक व्यापक योजना तैयार कर दो सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को प्रस्तुत करें।
डॉ. प्रसाद आज यहां विभागों के सभी मुख्य सतर्कता अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि सी.वी.ओ. नियमित रूप से अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें मुख्य सचिव तथा सतर्कता विभाग के विशेष सचिव को प्रस्तुत करते हैं। इससे समय पर हस्तक्षेप और सुधारात्मक कार्रवाई करना सम्भव हो पाता है, जिससे स्वच्छ शासन के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता और मजबूत होती है।
मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सी.वी.ओ.) के लिए अधिक स्वतंत्र और कुशलता से काम करने के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि आवश्यकतानुसार स्टाफ व अन्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि सी.वी.ओ. की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ए.सी.आर.) में एक अलग कॉलम बनाया जाएगा, जिसमें भ्रष्टाचार की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में उनके सराहनीय प्रयासों को दर्ज किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य उनकी भूमिकाओं में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना है।
मुख्य सचिव ने विभागों में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के उच्चतम मानकों को बनाए रखने में सी.वी.ओ. की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनके सतर्क प्रयास जनता के विश्वास की रक्षा करते हैं और शासन ढांचे को मजबूत करते हैं। सी.वी.ओ. का अंतिम लक्ष्य सरकारी कार्यों में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा देना है। साथ ही, संगठनात्मक प्रथाओं में खामियों की पहचान करके और भ्रष्टाचार के जोखिमों को कम करने के लिए सुधार सुझाकर भ्रष्टाचार को खत्म करने या कम करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
सतर्कता विभाग की विशेष सचिव डॉ. प्रियंका सोनी ने संबंधित सी.वी.ओ. से विभिन्न विभागों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि सी.वी.ओ. को निवारक और दंडात्मक सतर्कता, दोनों तरह के कर्तव्य सौंपे गए हैं, जो सतर्कता से संबंधित मामलों में प्रशासनिक सचिवों या विभागाध्यक्षों के विशेष सहायक के रूप में कार्य करते हैं। उनका प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी भ्रष्ट आचरण सरकारी विभागों के कामकाज में बाधा न बने। उन्होंने बताया कि अपनी निवारक सतर्कता क्षमता में, सी.वी. ओ संगठन के भीतर संभावित भ्रष्टाचार जोखिमों की सक्रिय रूप से पहचान करते हैं। वे भ्रष्टाचार गतिविधियों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करते हैं, हितधारकों को शिक्षित करते हैं और कमजोर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सी.वी.ओ. दंडात्मक सतर्कता के लिए भी जिम्मेदार हैं, जहां वे भ्रष्टाचार की शिकायतों की गहन जांच करते हैं। उन्होंने कहा कि जांच पूरी हो जाने के बाद, वे अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट अनुशासनात्मक अधिकारियों को देते हैं, ताकि भ्रष्ट आचरण में शामिल लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव श्री विजयेंद्र कुमार ने मुख्य सतर्कता अधिकारियों को और अधिक सशक्त बनाने के महत्व पर बल दिया, ताकि वे अपने कर्तव्यों को अधिक दक्षता के साथ निभा सकें। उन्होंने भ्रष्टाचार सम्भावित क्षेत्रों की पहचान करने और सरकारी कार्यालयों में अक्सर आने वाले व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
ए.डी.जी.पी. श्रीमती ममता सिंह ने सी.वी.ओ. से अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए खरीद मैनुअल और आचरण नियमों का गहन अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आईटी के अधिकतम उपयोग के महत्व पर भी बल दिया।