Haryana, केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि पराली जलाने पर रोक संबंधी कार्ययोजना के साथ हरियाणा इस साल खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह रोकने का प्रयास करेगा।
सीएक्यूएम ने एक बयान में कहा कि हरियाणा सरकार के अनुमान के मुताबिक, राज्य में लगभग 14.82 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की बुआई हुई है, जिससे 73 लाख टन से अधिक पराली (गैर-बासमती) उत्पन्न होने की संभावना है।
हरियाणा ने उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए उपग्रह डेटा का इस्तेमाल किया है जहां पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले आते हैं। बयान में कहा गया है कि राज्य ने पूसा जैविक घोल का इस्तेमाल करके लगभग पांच लाख एकड़ धान के खेतों का प्रबंधन करने की योजना बनाई है। यह जैविक घोल केवल 15-20 दिनों में पराली को नष्ट कर सकता है और किसानों को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा।
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश भी की है। सीएक्यूएम ने कहा कि सरकार ने किसानों से पराली खरीदने के लिए 2,500 रुपये प्रति टन की कीमत तय की है।
सीएक्यूएम ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये मिलेंगे। बयान में कहा गया है कि अगर किसान अपने खेतों में धान के अलावा अन्य फसलें उगाना चुनते हैं तो उन्हें ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत प्रति एकड़ 7,000 रुपये मिल सकते हैं।
सीएक्यूएम ने कहा कि जो पंचायतें पराली जलाना पूरी तरह से बंद कर देंगी, उन्हें 50,000 रुपये से एक लाख रुपये तक का प्रोत्साहन मिलेगा। बयान में कहा गया है कि जिन किसानों को खेत से पराली को गौशाला जैसी जगहों पर ले जाना होगा, उन्हें 500 रुपये प्रति एकड़, अधिकतम 15,000 रुपये मिलेंगे।
बयान के मुताबिक 2जी इथेनॉल संयंत्र परियोजनाओं के लिए चिह्नित ‘क्लस्टर’ को सब्सिडी के रूप में सरकार से विशेष सहायता दी जा रही है।