हरियाणा में अब बिल बकाया होने पर शव न देने वाले अस्पतालों पर सरकार शिकंजा कसेगी। दरअसल हरियाणा में कुछ दिनों पहले एक विधयक पास किया गया था जिसमें परिजनों को सड़कों पर शव रखकर प्रदर्शन करने ओर अस्पताल संचालकों द्वारा बिल न चुकाए जाने पर शव न देने को लेकर पाबंदी लगाई थी । लेकिन बाद में अनिल विज ने इस बिल पर आपत्ति जताते हुए इस पर स्टे लगा दया था। लेकिन अब सरकार इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश करने जा रही है।
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार के प्रस्तावित हरियाणा मृत शरीर के सम्मान विधेयक 2023 के ड्राफ्ट में अब अस्पताल संचालकों की मनमानी पर भी अंकुश लगाने की तैयारी है। मृत शरीर के सम्मान को लेकर अब इलाज का बिल बकाया होने की स्थिति में अस्पताल संचालक शव को जबरदस्ती नहीं रख सकते हैं।प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की आपत्ति के बाद विधेयक में खास प्रावधान किया जा रहा है। विधेयक के पहले ड्राफ्ट में शव को सड़क पर रखकर जाम लगाने के पहलुओं को शामिल किया गया था। लेकिन पिछले दिनों गृह मंत्री ने विधेयक पर आपत्ति लगा दी थी।विज का कहना है कि ऐसे विधेयक लाने से पहले व्यावहारिक जानकारी जुटाना जरूरी है। जिस राज्य में यह कानून लागू है वहां का अध्ययन करना चाहिए। यह सामने आना चाहिए कि विधेयक लागू होने से क्या फर्क पड़ा है।
सरकार का विधेयक लेन को मुख्य मकसद
गृह विभाग के अफसरों की माने तो इस विधेयक को लाने के पीछे की मंशा मृत शरीर की गरिमा को सुनिश्चित करना है। विधेयक के ड्राफ्ट में यह शामिल किया जा रहा है कि किसी की मौत होने पर उसकी शरीर की गरिमा को ठेस पहुंचाना कानूनी तौर से गलत है। जिसके कारण ही अस्पताल संचालकों को भी इसमें पाबंद किया जा रहा है। सरकार के पास ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जिसमें किसी गरीब व्यक्ति की मौत होने पर उसके शव को पैसे नहीं होने के कारण रोक लिया जाता है।परिजनों की ओर से गुहार के बाद भी अस्पताल संचालक पैसों के लिए अड़े रहते हैं। वहीं शव रखकर सड़क जाम करने के मामले में शव के अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी प्रशासन को दी जाएगी।
DSP-SHO अपने स्तर पर करेंगे अंतिम संस्कार
मृत शरीर सम्मान विधेयक में DSP व SHO को ये अधिकार दिए जाएंगे कि वह अपने स्तर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में समय से शव का अंतिम संस्कार करवाएंगे। हालांकि संस्कार करने से पहले पुलिस अफसरों की ओर से परिजनों को राजी किया जाएगा लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो उन्हें संस्कार करने का पूरा अधिकार होगा।
गृह विभाग की ओर से तैयार किए गए विधेयक को प्रदेश में सड़क जाम की बढ़ रही घटनाओं को रोकना बताया गया है। प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि इससे लागू होने से सार्वजनिक जगहों पर शव के साथ प्रदर्शन करने पर अंकुश लगेगा क्योंकि इसमें सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान तय किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन भी हैं
नेशनल हाईवे जाम करने के खिलाफ पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है। जिसमें पुलिस मुकदमा दर्ज करती है, लेकिन शव रखकर जाम लगाने के अधिकांश मामलों में पुलिस असहाय नजर आती है। इस विधेयक में पड़ोसी राज्य राजस्थान का हवाला दिया गया है जहां पर उक्त कानून के तहत शव रखकर सड़क जाम करने पर 2 वर्ष की सजा का प्रावधान है।यही नहीं शव के साथ धरना-प्रदर्शन में शामिल होकर उकसाने वाले राजनेताओं के खिलाफ 5 वर्ष की सजा तय की गई है। यदि वह विभिन्न मांगों को लेकर शव के साथ सड़क पर प्रदर्शन करते हैं तो एक वर्ष की सजा व जुर्माना लग सकता है।