महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस आत्ममंथन में जुट गई है। जिन राज्यों में पार्टी कमजोर रही, वहां संगठनात्मक बदलाव की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। हरियाणा कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं है। इसी सिलसिले में आज दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया है।
दिल्ली में दोपहर 2 बजे होगी बैठक
दिल्ली में दोपहर 2 बजे होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी सहित अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव पर चर्चा होगी। हालांकि, प्रदेश में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का प्रभाव बना रहेगा, लेकिन गैर-जाट समुदायों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की रणनीति अपनाई जा सकती है।
हुड्डा परिवार के प्रभाव में कटौती की योजना?
कांग्रेस प्रदेश में संतुलित नेतृत्व को प्राथमिकता देना चाहती है। पार्टी चाहती है कि संगठन में सभी जातियों और समुदायों को उचित स्थान मिले। हालांकि, यह हुड्डा परिवार के प्रभाव को कम करने की रणनीति नहीं बल्कि अन्य समुदायों को भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश है।
कांग्रेस नेतृत्व जातीय समीकरणों के हिसाब से संगठन का पुनर्गठन करना चाहता है। राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी में सामाजिक न्याय आधारित प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
महिला नेतृत्व को मिल सकती है प्राथमिकता
हरियाणा कांग्रेस के नए प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने हाल ही में स्पष्ट किया था कि पार्टी एससी/एसटी और ओबीसी समुदायों को 50% आरक्षण देने की नीति पर आगे बढ़ेगी। साथ ही, पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण देने की पार्टी की प्रतिबद्धता को भी दोहराया गया है।
दिल्ली बैठक का मुख्य एजेंडा
बैठक में हरियाणा कांग्रेस में नए चेहरों को शामिल करने और संगठन को मजबूत करने पर चर्चा होगी। पार्टी पिछले तीन विधानसभा चुनावों से हरियाणा में सत्ता से बाहर है और 2019 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। हालांकि, 2024 में पार्टी ने 10 में से 5 सीटें हासिल कर वापसी के संकेत दिए हैं।
कांग्रेस के आत्ममंथन की वजह
विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का हुड्डा परिवार पर अत्यधिक निर्भर रहना नुकसानदायक साबित हुआ। गैर-जाट समुदायों को साधने में पार्टी सफल नहीं हो पाई, जिससे चुनावी गणित बिगड़ गया। इसके अलावा, पार्टी के अंदरूनी खेमों में खींचतान भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
क्या हुड्डा नेता प्रतिपक्ष बने रहेंगे?
बैठक में विपक्ष के नेता की भूमिका पर भी चर्चा होगी। संभावित नामों में डॉ. रघुबीर कादियान और अशोक अरोड़ा प्रमुख हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान के भविष्य पर भी बैठक में फैसला लिया जा सकता है।
संभावित नए चेहरे कौन?
हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव के लिए कई नामों की चर्चा हो रही है, जिनमें सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, चौधरी वरुण मुलाना, अशोक अरोड़ा, राव दान सिंह और गीता भुक्कल प्रमुख हैं।
कांग्रेस जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए विपक्ष के नेता और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कर सकती है। पहले विपक्ष के नेता का फैसला होगा, उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय किया जाएगा।
निष्कर्ष हरियाणा कांग्रेस संगठनात्मक रूप से खुद को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रही है। जातीय संतुलन और नए चेहरों को महत्व देने की रणनीति अपनाई जा रही है। दिल्ली में होने वाली इस अहम बैठक के बाद पार्टी के भीतर महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।