अलख हरियाणा डेस्क, चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने प्रदेश की तहसीलों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए गुरुग्राम के बादशाहपुर और कुरुक्षेत्र के दो नायब तहसीलदारों को सस्पेंड कर दिया है।
गुरुग्राम के नायब तहसीलदार प्रमोद कुमार पर बिना नगर योजनाकार (NOC) के अवैध रजिस्ट्री करने का आरोप है। इस मामले में लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं, जिन्हें राजस्व मंत्री विपुल गोयल और विभागीय अधिकारियों ने गंभीरता से लिया।
वहीं, कुरुक्षेत्र के नायब तहसीलदार परमजीत को जांच में मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध न कराने के चलते निलंबित किया गया है। कुरुक्षेत्र के उपायुक्त ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की थी। दोनों अफसरों को निलंबन के दौरान क्रमशः सोनीपत और अंबाला डीसी कार्यालय से अटैच किया गया है।
4 दर्जन अधिकारी सरकार के रडार परराजस्व विभाग में करीब 44 तहसीलदार और नायब तहसीलदारों पर सरकार की नजर है। एक आंतरिक रिपोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। सूत्रों के अनुसार, इन पर एक साथ कार्रवाई न करते हुए चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी।
खुफिया इनपुट में खुलासा: गलत रजिस्ट्री और आय से अधिक संपत्ति
राजस्व और खुफिया विभाग की जांच में सामने आया है कि इन अधिकारियों ने कई स्थानों पर नियमों को ताक पर रखकर रजिस्ट्री की हैं। इनके पास आय से अधिक संपत्ति की जानकारी भी मिली है।
सरकार इससे पहले भी नियम-7A के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में बिना NOC के रजिस्ट्री करने वाले अफसरों को नोटिस जारी कर चुकी है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
पूर्व गठबंधन सरकार में भी उठा था रजिस्ट्री घोटाले का मुद्दा
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के दौरान भी रजिस्ट्री घोटाला चर्चा में रहा था। विपक्ष ने इस मुद्दे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई।
उस समय कई अफसरों ने हरियाणा नगरीय विकास एवं विनियमन अधिनियम 1975 की धारा 7A का उल्लंघन करते हुए बिना NOC के रजिस्ट्री की थी, जो पूरी तरह से गैरकानूनी मानी जाती है।
कोविड काल के घोटाले से जुड़ा कनेक्शन
राजस्व विभाग के सूत्रों के मुताबिक, जिन अफसरों पर अब कार्रवाई हो रही है, उनके नाम उस रजिस्ट्री घोटाले में भी सामने आए थे जो कोविड काल के दौरान सामने आया था।
सरकार की विशेष जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर 232 राजस्व अधिकारियों को दोषी पाया गया था। इनमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, रजिस्ट्री क्लर्क और पटवारी शामिल थे, जिन्होंने भू-माफिया और रियल एस्टेट एजेंटों को लाभ पहुंचाने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की थी।
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