चैत्र नवरात्र 2025 की शुरुआत 30 मार्च को हुई थी और आज इसका दूसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक आराधना करने से सुख, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी तप, त्याग और वैराग्य की प्रतीक मानी जाती हैं। उनका स्वरूप शांत और सरल है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके दाएं हाथ में जप माला तथा बाएं हाथ में कमंडल होता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र को वेदी पर स्थापित करें।
- उन्हें सफेद वस्त्र और फूल अर्पित करें।
- जल, अक्षत और पुष्प लेकर पूजा का संकल्प लें।
- मां को रोली, चंदन, धूप, दीप और इत्र अर्पित करें।
- सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं।
- मां ब्रह्मचारिणी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- उनकी कथा का पाठ करें और आरती करें।
- अंत में अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मां से प्रार्थना करें और क्षमा याचना करें।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
प्रिय भोग
मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री और पंचामृत अत्यंत प्रिय हैं। उनके पूजन में सफेद मिठाइयों और फलों का भोग भी अर्पित किया जा सकता है।
पूजा का धार्मिक महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से मानसिक शांति, संयम और आत्मबल प्राप्त होता है। विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए उनकी पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं, उन्हें जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।