चंडीगढ़, 8 मई 2025
हरियाणा सरकार ने राज्य भर के हजारों अनुबंध कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए उनके सेवा अनुबंध की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी है। यह विस्तार अब 30 जून 2025 तक लागू रहेगा। यह फैसला हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के लिए है, जिनके अनुबंध 31 मार्च 2025 को समाप्त हो गए थे।
यह निर्णय मानव संसाधन विभाग द्वारा विचार-विमर्श के बाद लिया गया, ताकि कर्मचारियों को नई नीति के लागू होने तक राहत मिल सके। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह विस्तार HKRNL द्वारा 25 मार्च को जारी शर्तों के अनुसार ही मान्य होगा। साथ ही, “हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अधिनियम, 2024” में प्रस्तावित संशोधन अधिसूचित कर दिए गए हैं और उसके नियमों का प्रारूपण अंतिम चरण में है।
सरकार के इस फैसले से वित्त एवं योजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी अवगत करा दिया गया है। यह कदम सरकार की ओर से कर्मचारियों को आश्वस्त करने और उनकी सेवा निरंतरता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जल विवाद पर CM सैनी का तीखा प्रहार: “पंजाब सरकार संविधान और न्यायपालिका का सम्मान नहीं करती”
इसी बीच, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने हरियाणा-पंजाब जल विवाद को लेकर आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं की अवमानना का आरोप लगाया। सैनी ने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों को दरकिनार करना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह संवैधानिक पीठ का अपमान है।
नाडा साहिब गुरुद्वारा, पंचकूला में शीश नवाने के बाद मीडिया से बातचीत में सैनी ने कहा, “हम पंजाब के हक का पानी नहीं मांग रहे हैं, केवल हरियाणा के हिस्से का पीने योग्य पानी मांग रहे हैं। जब पहले डैम में पानी कम था तब भी हिस्सा मिला, आज जब पर्याप्त पानी है तो उसे रोकना राजनीति का हिस्सा बन गया है।”
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह डैम पर ताला लगाकर और धरने पर बैठकर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे हैं, जो संवैधानिक मर्यादा के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री सैनी ने आगे कहा, “जब देश गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रहा है, तब राजनीति की बजाय समाधान की जरूरत है। हरियाणा की जनता को पीने का पानी मिलना उनका संवैधानिक अधिकार है और इस विषय पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है।”
हरियाणा सरकार जहां एक ओर कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर जल विवाद जैसे गंभीर मसले पर संवैधानिक दायित्व निभाने की बात जोर-शोर से उठा रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब सरकार हरियाणा के इस रुख का किस तरह से जवाब देती है।
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