Coconut, कर्नाटक में 10 मई से विधानसभा चुनाव है जिस वजह से वहां चुनाव प्रचार तेज चल रहा है. इसी में एक वर्ग किसानों का भी है. कर्नाटक में बड़े पैमाने पर नारियल की खेती होती है. लेकिन उन्हें अब नारियल की खेती उन्हें रास नहीं आ रही क्योंकि बाजार भाव बहुत कम है.
साथ ही नारियल में लगने वाली बीमारी स्टेम ब्लीडिंग भी तड़पा रही है. इन किसानों की मांग है कि अगली सरकार जिसकी भी बने, उसे इन मुद्दों पर गौर करे.
तुमकुरु जिले में लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर जमीन में किसान नारियल की खेती करते हैं और यहां की कुल आबादी के लगभग 50 प्रतिशत लोग नारियल से जुड़े बिजनेस में लगे हैं.
किसानों के मुद्दे उठाने वाला संगठन कर्नाटक राज्य रायता संगम का कहना है कि केंद्र सरकार की पॉलिसियां किसानों के अनुकूल नहीं हैं. यहां तक कि नारियल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही है, उसे भी दरकिनार किया जा रहा है.
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आप को बता दें कि कर्नाटक राज्य रायता संगम के जयचंद्र शर्मा ने PTI से कहा, कर्नाटक के नारियल किसान अभी जिस परेशानी को सबसे ज्यादा झेल रहे हैं, वो है कीमतों में लगातार गिरावट. एक क्विंटल नारियल उगाने का खर्च लगभग 17000 रुपये आता है. यानी प्रति क्विंटल लगभग 170 रुपये जबकि सरकार की एमएसपी मात्र 117 रुपये है. इस तरह तुमकुरु के किसान एक किलो नारियल की खेती पर 50 रुपये का घाटा उठा रहे हैं.
इस घाटे से उबारने के लिए किसानों की मांग है कि प्रति क्विंटल नारियल का दाम बढ़ाकर 25,000 रुपये किए जाएं. इसी तरह भाव प्रति किलो 250 रुपये किया जाए. जानकारी के अनुसार सरकार से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी और 5,000 रुपये समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि एपीएमसी एक्ट प्राइवेट कंपनियों को किसानों से सीधा खरीद करने की इजाजत देता है जिसका विरोध किया जा रहा है