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चंडीगढ़, 8 जुलाई। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर उच्च कोटि के राष्ट्रभक्त और सामाजिक समरसता के सूत्रधार थे। वे समाज के अन्यायपूर्ण और दमनकारी स्वरूपों के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक मात्र नहीं थे, बल्कि भारतीय समाज में उभर रही नवचेतना तथा बहुजन जागृति के एक महान मसीहा के रूप में वे आज भी लोगों के दिलों में प्रतिष्ठित हैं। डिप्टी सीएम आज यहां हरियाणा राजभवन में आयोजित सामाजिक समरसता कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने दुष्यंत चौटाला को डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी की मूर्ति देकर सम्मानित किया।
दुष्यंत चौटाला ने अपने संबोधन में डॉ. अंबेडकर को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि वे न केवल दलित, शोषित, पिछड़ों व पीड़ितों के सामाजिक सुधार के लिए जीवनभर संघर्षरत रहे बल्कि अपने पूरे समाज का विकास कैसे हो, उसे शिक्षा, समानता का अधिकार कैसे मिले? इसके लिए वे चिंतित एवं प्रयत्नशील रहे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में यदि भारत को विश्वगुरु बनना है तो अपनी अंतिम ऊर्जा को जागृत कर सामाजिक जीवन को एकरस-समरस करना ही होगा, अन्यथा केवल आर्थिक और प्रौद्योगिकी आधार पर विकसित विचारधाराओं के बल पर मानव सुख की कल्पना बेमानी होगी।
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दुष्यंत चौटाला ने डॉ. अंबेडकर को समाज का मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि डॉ. भीमराव जी के जीवन संघर्ष, साहित्य एवं दर्शन देखने से पता चलता है कि दलितों का उनसे बढ़कर कोई हमदर्द नहीं था। उन्होंने कहा कि देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री जननायक स्व. चौधरी देवीलाल ने भी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तरह सदियों से वंचित पीड़ित बंधुओं का मर्म समझा और वे जीवनपर्यंत उनके उत्थान के लिए प्रयत्नशील रहे। उन्होंने कहा कि चौधरी देवीलाल जी के आचरण में भी सामाजिक समरसता स्पष्ट तौर पर दिखाई देती थी, हरियाणा में पहली बार स्व. देवीलाल ने ही अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के बंधुओं को नंबरदारी के लिए आगे किया।