चंडीगढ़ – हरियाणा सरकार ने नवजात शिशुओं में जन्मजात बीमारियों की जल्द पहचान और मुफ्त इलाज के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत नई पहल शुरू की है। इसके तहत हर पीएचसी और सीएचसी में एक नर्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो जन्म के तुरंत बाद बच्चे की जांच कर गंभीर बीमारियों का पता लगाएगी। सरकार अब तक साढ़े तीन करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है और कई बच्चों का सफल इलाज हो चुका है।
जन्मजात बीमारियों की होगी स्क्रीनिंग
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बच्चे के जन्म के समय ही उसकी स्क्रीनिंग कर यह देखा जाएगा कि उसे कोई गंभीर बीमारी तो नहीं। यदि बच्चे में दिल में छेद, कटे हुए होंठ, पैरों का टेढ़ापन, जन्मजात मोतियाबिंद, आंखों का भैंगापन, या अन्य कोई शारीरिक समस्या पाई जाती है, तो उसे तुरंत मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। इस पहल से उन गरीब परिवारों को राहत मिलेगी, जो आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करवा पाते।
RBSK टीम करेगी फ्री जांच
- हर PHC और CHC में नर्सिंग स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी गई।
- सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 18 साल तक के बच्चों की जांच की जाएगी।
- यदि किसी बच्चे में गंभीर समस्या पाई जाती है तो उसे नागरिक अस्पताल जींद, पीजीआई चंडीगढ़, रोहतक या मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में मुफ्त इलाज के लिए भेजा जाएगा।
- आरबीएसके की 12 गाड़ियों की टीम पूरे राज्य में घूम-घूम कर बच्चों की स्क्रीनिंग कर रही है।
अब तक 3.5 करोड़ से अधिक खर्च, कई बच्चों का सफल इलाज
नागरिक अस्पताल जींद के डिप्टी सीएमओ डॉ. रमेश पांचाल ने बताया कि अब तक सरकार द्वारा 3.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर कई बच्चों का इलाज कराया जा चुका है।
- दिल के छेद वाले बच्चों के ऑपरेशन कराए गए।
- गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को DIC सेंटर भेजकर उनकी स्क्रीनिंग करवाई जा रही है।
जरूरतमंद परिवार कैसे लें लाभ?
यदि किसी भी 0 से 18 साल के बच्चे में जन्मजात बीमारी जैसे दिल में छेद, कमर में फोड़ा, कटे होंठ, जन्मजात मोतियाबिंद, खून की कमी, गंभीर कुपोषण या आंखों की समस्या हो तो वे आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकते हैं।