हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने गुरूग्राम नगर निगम में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर 5 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। आयोग ने यह जुर्माना आवेदक को अधिसूचित सेवा निर्धारित समय सीमा में न देने व आवेदन को गलत तरीके से खारिज करने के कारण लगाया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार आवेदक देवेन्द्र सिंह भाटी ने 10 अप्रैल 2024 को डॉग के पंजीकरण का प्रमाण पत्र जारी करने से सम्बंधित शहरी स्थानीय विभाग की सेवा का लाभ लेने के लिए अंत्योदय सरल पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया था। लेकिन 12 अप्रैल 2024 को उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। जब उन्होंने निगम अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें गुरुग्राम का स्थानीय पता प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, जिसके लिए उन्होंने एक किराया समझौता प्रस्तुत किया और उसके बाद उन्हें बताया गया कि उनका आवेदन पूरा हो गया है और प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। जबकि उन्हें ईमेल के माध्यम से आवेदन अस्वीकार करने की सूचना प्राप्त हुई, जिसके कारण उन्हें आयोग के समक्ष अपील दायर करनी पड़ी।
जिसके बाद आयोग ने जांच के लिए आयोग के मुख्य आयुक्त टीसी गुप्ता के समक्ष सुनवाई निर्धारित की गई। आयोग ने पाया कि दोनों दस्तावेज (जैसा कि सरल केएमएस पर उल्लेख किया गया है) आवेदक द्वारा आवेदन पत्र के साथ संलग्न किए गए थे, फिर भी डीओ द्वारा आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया जबकि आवेदन प्राप्त होने के दो दिनों के भीतर इसे सीधे खारिज करने के बजाय, डीओ द्वारा आवेदन वापस कर देना चाहिए था। इसके अलावा, एफजीआरए ने पहली अपील पर विचार नहीं किया और एसजीआरए द्वारा की गई कार्रवाई भी अविश्वसनीय थी क्योंकि उन्होंने यह सत्यापित किए बिना दूसरी अपील को भी खारिज कर दिया कि प्रमाण पत्र जारी किया गया था या नहीं।
आयोग ने इस मामले में नगर निगम, गुरुग्राम में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष सिंगला द्वारा आवेदन को वापस करने के बजाय केवल गुरुग्राम का स्थानीय पता पूछने के लिए गलत तरीके से आवेदन खारिज करने व एफजीआरए के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने में भी विफल रहने के कारण डॉ. आशीष सिंगला को अधिसूचित अवधि के भीतर सेवा प्रदान न करने का दोषी पाते हुए आयोग ने 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
आयोग ने आयुक्त नगर निगम, गुरुग्राम को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि नगर निगम, गुरुग्राम में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष सिंगला के जुलाई, 2024 के वेतन से 5 हजार रुपये की राशि काट कर राज्य खजाने में जमा करवाकर रसीद सहित आयोग को सूचित किया जाए।
उन्होने बताया कि ऑटो अपील सिस्टम (आस) का लोगो को बहुत लाभ मिल रहा है। शिकायत लगाने के बाद प्रार्थी की शिकायत पर संबंधित विभाग की ओर से तय समय सीमा के अंदर-अंदर समाधान कर दिया जाता है। इसके अलावा, जिन शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की जाती, वे निर्धारित समय के पश्चात ऑटो अपील प्रणाली के तहत प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकारी अथवा द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकारी के समक्ष स्वतः ही समाधान हेतु पहुंच जाती हैं। आयोग ऑटो अपील के संबंध में खुद भी कुछ मामलों का स्वतः संज्ञान लेकर तुरंत कार्यवाही करते हुए शिकायतकर्ता को उसकी समस्या का समाधान करता है।