नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। मंगलवार (25 फरवरी 2025) को विशेष जज कावेरी बावेजा ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को पिता-पुत्र की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। कोर्ट ने इससे पहले 12 फरवरी को सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था और 21 फरवरी को सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था।
पीड़ित पक्ष ने मांगी थी फांसी
इस केस में पीड़ित पक्ष और सरकारी वकील ने सज्जन कुमार के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। 18 फरवरी को इस पर बहस होनी थी, लेकिन सज्जन कुमार के वकील ने समय मांगा, जिसके बाद 21 फरवरी तक सुनवाई टाल दी गई। अब 25 फरवरी को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुना दी।
सज्जन कुमार: राजनीति से सजा तक का सफर
- सज्जन कुमार का जन्म 23 सितंबर 1945 को हुआ था।
- 1977 में पहली बार पार्षद बने, फिर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
- 1980 और 1991 में लोकसभा सांसद बने, 2004 में बाहरी दिल्ली से बड़ी जीत हासिल की।
- 1984 सिख दंगों में शामिल होने के आरोप लगे।
- 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई, तब से तिहाड़ जेल में हैं।
1984 सिख दंगों का पूरा मामला
31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने कर दी थी। इसके बाद 1 नवंबर को दिल्ली और देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। नानावटी आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ दिल्ली में 2700 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि देशभर में यह आंकड़ा 3500 के करीब था।
न्याय की लंबी लड़ाई
- 2005: CBI ने नानावटी आयोग की सिफारिश पर केस दर्ज किया।
- 2010: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार और अन्य आरोपियों को समन भेजा।
- 2013: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया, CBI ने हाईकोर्ट में अपील की।
- 2018: हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई।
- 2025: अब 41 साल बाद, पिता-पुत्र की हत्या मामले में उम्रकैद की नई सजा सुनाई गई।