चंडीगढ़, 5 मई — हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने रविवार को पंजाब सरकार पर पानी के संवेदनशील मुद्दे को लेकर “ओछी राजनीति” करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने पंजाब विधानसभा में एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) नहर को लेकर बार-बार प्रस्ताव पारित किए जाने को संविधान, सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।
मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि—
“पानी कोई प्रांत की निजी संपत्ति नहीं, बल्कि देश की साझा धरोहर है। पंजाब का रवैया न केवल अनुचित है, बल्कि भारतीय संघीय प्रणाली के मूल सिद्धांतों को ठेस पहुंचाने वाला है।”
🔍 पृष्ठभूमि: पानी पर राजनीति और SYL विवाद
भारत में पानी का बंटवारा कई दशकों से अंतर्राज्यीय विवाद का कारण रहा है। 1966 में हरियाणा के गठन के समय ही सतलुज-यमुना लिंक नहर का प्रस्ताव सामने आया था ताकि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल सके। परंतु पंजाब लगातार इस पर अड़चनें डालता रहा है।
हाल ही में पंजाब विधानसभा ने फिर एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि वह हरियाणा को पानी देने को तैयार नहीं। हरियाणा सरकार ने इस कदम को “अनैतिक” और “गैर-संवैधानिक” करार दिया है।
📢 सीएम सैनी का सीधा हमला – “मान सरकार, संविधान और गुरुओं की शिक्षाओं का अपमान कर रही”
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि पंजाब सरकार न तो भारत के संविधान का सम्मान करती है, न ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन। उन्होंने सिख समुदाय के दस गुरुओं का हवाला देते हुए कहा:
“आज पंजाब विधानसभा में जो प्रस्ताव पारित किया गया है, वह गुरुओं की शिक्षाओं के खिलाफ है। मान सरकार को सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। पानी को राजनीतिक हथियार न बनाए।”
⚖️ BBMB को भंग करने के प्रस्ताव की भी आलोचना
प्रेस वार्ता में जब पंजाब विधानसभा में BBMB (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) को भंग करने के प्रस्ताव पर सवाल पूछा गया, तो मुख्यमंत्री ने साफ किया कि:
“BBMB संसद द्वारा गठित एक स्वायत्त संस्था है, जो केंद्र सरकार के अधीन है। पंजाब सरकार का इस पर प्रस्ताव पारित करना पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है।”
⚠️ राजनीतिक चेतावनी: “कांग्रेस के बाद अब AAP की बारी”
मुख्यमंत्री ने पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि—
“पंजाब की जनता ने पहले कांग्रेस को लाइन में खड़ा कर दिया, अब AAP की बारी है। पानी जैसे जीवन-मूल्य विषय पर राजनीति को लोग माफ नहीं करेंगे।”
🧑🤝🧑 कैबिनेट की सामूहिक निंदा, विकास की राजनीति की अपील
सीएम सैनी के साथ बैठक में शामिल उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह, सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, जल संसाधन मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी और सूचना विभाग के महानिदेशक के.एम. पांडुरंग ने भी पंजाब सरकार की इस रणनीति की निंदा की। मुख्यमंत्री ने कहा—
“1966 से पहले हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य थे। भाईचारे की भावना को तोड़कर छोटी राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मान सरकार को चाहिए कि वह विकास की राजनीति को अपनाए और पंजाब के लोगों की मूलभूत जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करे।”
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SYL मुद्दा: 5 दशक पुराना विवाद, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया है।
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संवैधानिक संकट: बार-बार प्रस्ताव पारित कर केंद्र और न्यायपालिका की अनदेखी करना संघीय व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करता है।
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राजनीतिक प्रभाव: पंजाब की राजनीति में यह मुद्दा लंबे समय से वोट बैंक का हिस्सा रहा है, जबकि हरियाणा इसे अपने “अधिकार और जीवन” से जोड़ता है।
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