चंडीगढ़। हरियाणा के MBBS परीक्षा घोटाले की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। पीजीआईएमएस रोहतक की अनुशासन समिति की सुनवाई के दौरान, एक निजी मेडिकल कॉलेज के कुछ छात्रों ने अपनी आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ की बात स्वीकार की है। हालांकि, उन्होंने किसी भी संगठित षड्यंत्र में शामिल होने से इनकार किया है। छात्रों ने दावा किया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं के कुछ हिस्सों में लिखावट उनकी खुद की लिखावट से भिन्न थी। इस स्थिति को देखते हुए, अनुशासन समिति ने इन उत्तर पुस्तिकाओं की फोरेंसिक जांच कराने का निर्णय लिया है।
41 लोगों पर दर्ज हुई FIR
इस मामले में 15 फरवरी को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, रोहतक (UHSR) के 17 कर्मचारियों और 24 एमबीबीएस छात्रों सहित कुल 41 लोगों को नामजद किया गया है। अब तक तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
30 से अधिक छात्रों से हो चुकी पूछताछ
पीजीआईएमएस के सूत्रों के अनुसार, अनुशासन समिति ने अब तक 30 से अधिक छात्रों से पूछताछ की है। इनकी सुनवाई 17 से 19 मार्च के बीच हुई थी। छात्रों को अपनी आंसर शीट देखने और उसमें हुई गड़बड़ियों की पुष्टि करने का अवसर दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, चार से पांच छात्रों ने यह स्वीकार किया कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं के कुछ हिस्सों में अलग-अलग लिखावट पाई गई।
अब एक्सपर्ट करेंगे हैंडराइटिंग जांच
पीजीआईएमएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकांश छात्रों ने अपनी आंसर शीट के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ से इनकार किया है। इसी वजह से अनुशासन समिति ने हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराने का फैसला किया है। करनाल स्थित कल्पना चावला सरकारी मेडिकल कॉलेज के निदेशक की अगुवाई में तीन सदस्यीय पैनल पहले ही जांच कर चुका है और कई उत्तर पुस्तिकाओं में गड़बड़ी के सबूत मिले हैं।
क्या बोले अधिकारी?
पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एस.के. सिंघल ने पुष्टि की कि कुछ छात्रों ने आंसर शीट में छेड़छाड़ की बात स्वीकार की है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसके पीछे कौन लोग जिम्मेदार हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अनुशासन समिति ने अब आंसर शीट की लिखावट की जांच के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की मदद लेने का फैसला किया है।
कैसे होता था घोटाला?
MBBS परीक्षा घोटाले में सालाना और सप्लीमेंट्री एग्जाम की उत्तर पुस्तिकाएं विश्वविद्यालय से बाहर ले जाई जाती थीं। इसके बाद छात्रों को दोबारा जवाब लिखने का मौका दिया जाता था और फिर फर्जीवाड़े के जरिए इन आंसर शीट्स को पुनः जमा कर उत्तीर्ण अंक प्राप्त किए जाते थे। अब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त जांच की जा रही है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।