“One Nation, One Election” (एक देश-एक चुनाव) विधेयक के लोकसभा में पेश होने और उस पर हुई चर्चाओं ने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को नई दिशा दी है। इस विधेयक से जुड़े मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
संविधान संशोधन और विधेयक का उद्देश्य
129वें संविधान संशोधन बिल के जरिए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। इसके तहत:
- नया अनुच्छेद 82(A) जोड़ा जाएगा।
- अनुच्छेद 83, 172 और 327 में बदलाव किया जाएगा।
- केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े कानूनों जैसे जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (2019), दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम (1991), और 1963 के केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम में संशोधन का प्रावधान होगा।
यह कदम देश में चुनावी खर्च को कम करने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
लोकसभा में विधेयक की प्रक्रिया
- मतदान के नतीजे: विधेयक के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े।
- जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव: गृह मंत्री अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की सिफारिश की।
- विपक्ष का विरोध: विपक्षी दलों ने इसे संविधान विरोधी और संघीय ढांचे पर हमला बताया।
विपक्ष की आपत्तियां
- संविधान पर आघात:
- टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी और डीएमके सांसद टीआर बालू ने इसे अल्ट्रा वायर्स और संविधान विरोधी बताया।
- कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इसे भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया।
- तानाशाही का आरोप: सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसे “संविधान की मूल भावना” के खिलाफ बताते हुए तानाशाही लाने का प्रयास कहा।
सरकार की दलीलें
- संवैधानिक प्रक्रिया: अर्जुन राम मेघवाल ने अनुच्छेद 368 और 327 का हवाला देते हुए इसे संविधान-सम्मत बताया।
- लोकतंत्र को सुदृढ़ करने की बात: गृह मंत्री अमित शाह ने पारदर्शी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए व्यापक चर्चा की आवश्यकता बताई।
- प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता: पीएम मोदी ने इस विचार को “देशहित में ऐतिहासिक” करार दिया।
इतिहास और कोविंद समिति की सिफारिशें
- 1952-1967 के बीच लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होते थे। 1968-69 में यह परंपरा टूटी।
- रामनाथ कोविंद समिति: मार्च 2024 में समिति ने विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने और एकल मतदाता सूची तैयार करने जैसे सुझाव दिए।
संवैधानिक और राजनीतिक चुनौतियां
- सभी विधानसभाओं और लोकसभा का कार्यकाल समायोजित करना।
- विभिन्न दलों की सहमति प्राप्त करना।
- संघीय ढांचे के संतुलन को बनाए रखना।
अगले कदम
- विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में चर्चा होगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के बीच राज्यसभा में तीखी बहस की संभावना है।
विश्लेषण
“One Nation, One Election” का उद्देश्य चुनावी प्रक्रियाओं को सुगम बनाना है, लेकिन इससे जुड़े संवैधानिक और संघीय मुद्दे इसे विवादास्पद बनाते हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विधेयक व्यापक सहमति प्राप्त करता है या राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बनता है।